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Accounting Info (Ledger and Groups )

 Groups : 28 Groups (15 primary and 13 sub group) are available by default in tally 

Steps for display 28 groups

GOT -->Chart of Accounts--> Groups






1) Capital account:- पूंजी खाता :

    इसके अंदर 2  ledger  आते है     

i  Capital A/c : जब bussines शुरू किया जाता हैं तब owen के  द्वारा पैसा लगाया जाता हैं उसे Capital account kahte है। 

ii Drawing A/c : Buisness का मालिक जब अपने निजी उपयोग के लिए पैसा निकलता है उसे Drwaings कहते है |  

Capital A/c का 1 subgroups है Reserve and surplus - 

-Reserve and surplus:- Business का मालिक जब एक साल दर साल कुछ पैसा Business से निकाल कर अलग से जमा करता है ताकि कभी Business को छोटा या बड़ा करना हो तो वही पैसा काम आ जाता है।

2) Loans and Liability:- ऐसे loans जिसे pay करना हमारा कर्तव्य है। ये long term loan  होते है जिसे 1 साल के बाद भी pay किया सकता है |  इसके 3 subgroups  है 

i Bank O/D (over draft) 

ii Secured loan

iii Unsecured loan

- Bank overdraft:- जब हमे जितना पैसा हमारे bank में है उससे अधिक पैसा चाहिए  हो तो हम अपने business के लिए bank से over draft करते है। Ex. bank OD , bank OCC.

- Secured loan:- यह loan किसी security के base पर diya जाता है , जैसे:- प्रॉपर्टी के पेपर, business के पेपर आदि। Ex. Home Loan , Car Loan , Loan From Bank. 

- Unsecured loan:- यह loan बिना किसी security के रूप मे दिया जाता है, जैसे:- friend से पैसा लेना, किसी रिश्तेदार से पैसा लेना आदि।

3) Current liability:- ऐसे Liabiliti  जो एक या दो माह के अंदर pay किए जाते है।, इसके 3 subgroups  है , i. Duties and taxes 

ii. Provision

iii. Sundry creditors 

- Duties and taxes:- जितने भी प्रकार के टैक्स होते है उसे duties and taxes कहा जाता हैं जैसे GST , CGST  SGST, IGST, VAT, TDS आदि।

-Provisin :-  ऐसे खर्च जो हम अभी pay नही किए हैं लेकिन आगे हमे pay करना है , जैसे electricity bill payable , rent payable , आदि।

Sundry creditors:- जिस party से हम उधारी में  सामान खरीदते है या जिसे payment करते है  है उसे sundry creditors कहते है। ex. all supplier.

4) Fixed assets :- स्थायी संपत्ति:- ऐसे संपत्ति जो हमारे business में एक या अधिक सालो तक business में रहते हैं इसके 2 प्रकार है -

-Tangible asset :-  जिन्हे छू सकते है उसे tangible asset कहते है जैसे furniture, machinery, land, building,car,bike आदि।

Intangible asset:- जिन्हे छू नहीं सकते उसे intangible asset कहते है जैसे Goodwill, branding name आदि।

5) Investment:- निवेश:- अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जो पैसे invest करते हैं उसे investment कहते है , जैसे  share market, invest in any company, mutual fund.

6) Current asset:- चालू संपत्ति:- ऐसे asset जो  sale , purchase करने के उद्देश्य से business में लाई जाती है इसके 6 subgroups है, 

i. Stock in hand, 

ii. Deposite assets 

iii. Loans and advance(assets)

iv. Sundry debtors

v. Cash in hand 

vi. Bank account

-Stock in hand:- Business मे हमारे पास जितने भी stock होते है उसे Stock in hand कहते है।

-Deposite asset :- किसी asset के लिए deposit किया गया amount जो refundable होता है उसे  deposite asset कहते है। (पगड़ी देना, गिरवी रखना) 

-Loan and Advance:- ऐसे amount  जो हम advance में लिए हो और उसके बदले हमे service देनी पड़े उसे हम loan and Advance कहते है।

-Sundry debtors:- जिन party को हम सामान sale करते हैं या जिनसे पैसे लेते है उसके सारे ledger sundry debtors में लिखें जायेंगे।

- Cash in hand:- Business मे एक साल के अन्दर जितना भी cash बचा हुआ होता है उसे Cash in hand कहते है। इसके under दो ledger बनते है cash , petty cash .

- Bank account:- इसमें bank से related सारे ledger आते हैं, जैसे:- SBI Bank, HDFC Bank, आदि।

7) Branch and Division:- किसी कंपनी के Main Branch के छोटे छोटे और branch  होते है उसे branch and Division कहते है।

8) Mics. Expenses:-  ऐसे छोटे मोटे खर्च जो हमे पता ना हो उसे मिक्स. Expenses कहते हैं। या assets में होने वाले खर्च जिससे assets की value बढ़ जाता है | Ex. painting , repairing. 

9) Suspense account:- जब पैसा कहा से आया हो या कहा खर्च हो गया है हमे मालूम नहीं होता है उसे suspense account में लिखते है।

10) Sales account :-  इसमें sales और  sales return के ledger बनते हैं।

11) Purchase account:- इसमें purchase और  purchase return के ledger बनते है।

12) Direct Income:-  Business मे जो goods sale ya purchase करने से जो आय होती है उसे Direct Income कहते हैं। (main source of income )

13)Direct expense:- purchase ya manufacture पर  होने वाले expenses को Direct expense कहते है। Ex. freight, labour charge, transport charge.

14) Indirect income:- Main source of income के अलावा हमे Business में जितने भी ऊपरी आय होती है उसे indirect income. Ex. rent receive, commission receive, discount receive.

15) Indirect expenses:-  Purchase aur manufacture me में होने वाले खर्च को छोड़कर  जितने भी ऊपरी व्यय होती है उसे indirect expense कहते है। Ex. Rent pay, salary pay, discount allow, interest pay.


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